पेयाऴ्वार | Peyalvar
॥ सामान्य विवरण ॥

नाम : पेयाऴ्वार
जन्म काल : 7वीं ई.पू.
जन्म स्थान : मयूर पुर (तिरुमयिलै, मयिलापूर, चेन्नई)
मास: आश्विन
नक्षत्र : शतभिषा
जन्म दिन : गुरुवार
अंश : नन्दक (कृपाण)
रचनाएँ : तृतीय तिरुवंतादि
गीताएँ : 100

॥ पेयाऴ्वार की गाथा ॥
चेन्नई मयिलापूर (जिसे तिरुमयिलै और मयूर पुर भी कहते हैं) में एक प्रसिद्ध वैष्णव मंदिर है, जिसका नाम "श्री आदि केशव भगवान मंदिर" है। इस मंदिर के तीर्थ को "चित्र तीर्थ" कहा जाता है। सिद्धार्थ वर्ष, आश्विन माह, दशमी, शतभिषा नक्षत्र युत दिन में, इस तालाब में एक अतिशय अरुण उत्पल फूल में, पुण्य संत पेयाऴ्वार का जन्म हुआ। उन्होंने बचपन से ही अपना जीवन सर्वशक्तिमान भगवान श्रीमन्नारायण की भक्ति में बिताया। इन्हें पंच आयुधों (तिरुमाल के पांच हथियारों) में से नन्दक तलवार का अंश माना जाता है।

पेयाऴ्वार ने प्रबंधम के तीसरे 100 पद्यों की रचना की, जो "तिरुक्कण्डेन् पॊन्मेनि कण्डेन्" (श्री को देखा और स्वर्ण देह को देखा) शब्दों से शुरू होते हैं।

"तिरुक्कण्डेन् पॊन्मेनि कण्डेन् - तिगऴुम्
अरुक्कन् अणिनिरमुम् कण्डेन् - चॆरुक्किळरुम्
पॊनाऴि कण्डेन् पुरि चंगम् कैक् कण्डेन् - ऍन्
आऴि वण्णन् पाल् इन्ऱु॥"

[तिरुक्कण्डेन् = श्री को देखा ; पॊन्मेनि कण्डेन् = स्वर्ण देह को देखा ; तिगऴुम् अरुक्कन् = अर्क (सूर्य) के समान विराजमान ; अणिनिरमुम् कण्डेन् = आभूषणों को देखा ; चॆरुक्किळरुम् = युद्ध में कुशलता प्रदर्शन करने वाला ; पॊनाऴि कण्डेन् = स्वर्ण चक्र को देखा ; पुरि चंगम् कैक् कण्डेन् = श्वेत शंख को हात में देखा ; ऍन् = मेरे ; आऴि वण्णन् = समुद्र वर्ण (भगवान श्रीमन्नारायण) ; पाल् = में ; इन्ऱु = आज]

"आज, मुझे, मेरे, समुद्र के समान नील वर्ण वाले भगवान श्रीमन्नारायण में, श्री (भगवती लक्ष्मी), स्वर्ण देह, अर्क (सूर्य) के समान विराजमान प्रकाशमय आभूषणों और युद्ध में कुशलता प्रदर्शन करने वाला स्वर्ण सुदर्शन चक्र व श्वेत शंख को धारण करने वाले हातों को देखने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ!"

प्रबंधम के पहले 300 भजनों इस प्रकार बनाए गए हैं कि प्रत्येक भजन का अंतिम शब्द अगले भजन का प्रारंभिक शब्द बन जाता है। इस प्रकार के चिऱ्ऱिलक्कियम (संस्कृत में प्रबंधम) को अंतादि (अंत + आदि) कहा जाता है। इसलिए प्रबंधम में पहले 3 रचनाएँ को "आदि तिरु अंतादि" कहा जाता है। और पहले तीन आऴ्वारों (पॊय्गै आऴ्वार, भूतत्ताऴ्वार और पेयाऴ्वार) को "मुदल आऴ्वार" कहा जाता है।

॥ पेयाऴ्वार द्वारा कुंभाभिषेचित दिव्य देशों ॥
पेयाऴ्वार विभिन्न दिव्य देशों में गायन के लिए गए और उन्होंने भगवान श्रीमन्नारायण की आज्ञा का पालन किया।

कुल 108 दिव्य देशों में से पेयाऴ्वार ने स्वयं 1 मंदिर का अभिषेक किया।

पेयाऴ्वार (1)
1. तिरुवेळुक्कै (अऴगिय सिंह पॆरुमाळ मंदिर, तिरुवेळुक्कै, कांचीपुरम)

कुल 108 दिव्य देशों में से पेयाऴ्वार ने अन्य आऴ्वारों के साथ 12 मंदिरों का अभिषेक किया।

पेयाऴ्वार , तिरुमंगै आऴ्वार (1)
2. तिरु घटिकाचल (श्री योग नृसिंह भगवान मंदिर, घटिकाचल, शोलिंगपुरम, वेलूर)

पेयाऴ्वार, तिरुमऴिसै आऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार (1)
3. तिरुवल्लिक्केणि (श्री पार्थ सारथी भगवान मंदिर, मुचुकुंदपुर, तिरुवल्लिक्केणि, चेन्नै)

पेयाऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार, नम्माऴ्वार (1)
4. तिरुविण्णगरम (श्री आकाशपुरीश अथवा ऒप्पिलियप्पन् मंदिर, कुम्भकोणम, तंजावूर)

पेयाऴ्वार, पॊय्गै आऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार, तिरुमऴिसै आऴ्वार (1)
5. तिरुवॆक्का (चॊन्न वण्णम चॆय्द पॆरुमाळ मंदिर, तिरुवॆक्का, कांचीपुरम)

पेयाऴ्वार, भूतत्ताऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार, तिरुमऴिसै आऴ्वार (1)
6. तिरुप्पाडकम (पांडव दूत भगवान मंदिर, तिरुप्पाडकम, कांचीपुरम)

पेयाऴ्वार, भूतत्ताऴ्वार, पॆरियाऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार, तिरुमऴिसै आऴ्वार (1)
7. तिरु गोष्ठीयूर (सौम्य नारायण भगवान मंदिर, तिरु गोष्ठीयूर, शिवगंगा)

पेयाऴ्वार, भूतत्ताऴ्वार, आंडाळ, पॆरियाऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार, नम्माऴ्वार (1)
8.. तिरुमालिरुंचोलै (कळ्ळऴगर मंदिर, अऴगर कोयिल, मदुरै)

पेयाऴ्वार, भूतत्ताऴ्वार, आंडाळ, पॆरियाऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार, तिरुमऴिसै आऴ्वार, नम्माऴ्वार (1)
9. कुंभकोणम (शार्गंपाणि मंदिर, कुंभकोणम, तंजावूर)

पेयाऴ्वार, भूतत्ताऴ्वार, पॊय्गै आऴ्वार, नम्माऴ्वार, आंडाळ, पॆरियाऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार, कुलशेखर आऴ्वार, तिरुमऴिसै आऴ्वार, तिरुप्पाणाऴ्वार (2)
10 . तिरुपति (श्री वेंकटाचलपति मंदिर, तिरुपति, चित्तूर, आंध्र प्रदेश)
11 . तिरुप्पाऱ्कडल (श्री क्षीराब्धि नाथ, क्षीरसागर)

पेयाऴ्वार, भूतत्ताऴ्वार, पॊय्गै आऴ्वार, नम्माऴ्वार, आंडाळ, पॆरियाऴ्वार, तिरुमंगै आऴ्वार, कुलशेखर आऴ्वार, तिरुमऴिसै आऴ्वार, तिरुप्पाणाऴ्वार, तोंडरडिप्पॊडि आऴ्वार (1)
12. श्रीरंगम (श्री रंगनाथ भगवान मंदिर, श्रीरंगम, तिरुच्चिराप्पळ्ळि)